
7 मई को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में किए गए सर्जिकल एयरस्ट्राइक “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद देश भर में राष्ट्रवादी भावना का उफान देखा जा रहा है। यह राष्ट्रवाद केवल भावना नहीं, बल्कि देश की सामूहिक चेतना, एकजुटता, और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति नई समझ को दर्शाता है।
सिविल सर्विसेज एस्पिरेंट के लिए क्यों अहम है ऑपरेशन सिंदूर
राष्ट्रवाद की यह लहर क्यों अहम है?
सेना के प्रति भरोसा: एयरस्ट्राइक की सटीकता और सीमित दायरे ने आम जनता में भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता को लेकर गर्व पैदा किया।
जनता की प्रतिक्रियाएं: सोशल मीडिया, न्यूज़ चैनलों और सार्वजनिक जगहों पर देशभक्ति के नारे, झंडा फहराने और सेना के समर्थन में सभाएं देखने को मिलीं।
राजनीतिक सहमति: विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ने सर्वदलीय बैठक में सेना की कार्रवाई का समर्थन किया — यह अपने आप में एकजुट राष्ट्रवाद का संकेत है।
राष्ट्रवाद का सामाजिक प्रभाव:
युवाओं में जागरूकता: कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर चर्चाएं और डिबेट्स की जा रही हैं, जिससे रक्षा और नीति पर जागरूकता बढ़ी है।
राजनीतिक विमर्श में बदलाव: अब आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीतिक सहमति और जनता का समर्थन ज़्यादा मज़बूत हो गया है।
मीडिया की भूमिका: टीवी डिबेट्स और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स पर राष्ट्रवाद को लेकर नए विमर्श खड़े हो रहे हैं, जो मतदाता और नागरिकों की समझ को दिशा दे रहे हैं।
राष्ट्रवाद बनाम कट्टरता: संतुलन जरूरी
हालांकि राष्ट्रवाद एक सकारात्मक ऊर्जा है, इसे अंध राष्ट्रवाद या उग्र विचारधारा में नहीं बदलना चाहिए। नैतिक राष्ट्रवाद वह होता है जो संविधान, मानवता और विवेक के आधार पर टिके।
ऑपरेशन सिंदूर और TRF
TRF द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए, ने राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर दिया।
इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय भावनात्मक प्रतिक्रिया बन गया।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद का राष्ट्रवाद कोई क्षणिक भावना नहीं, बल्कि एक सजग नागरिक चेतना का संकेत है। यह समय है जब देश अपनी सुरक्षा नीति, राजनयिक नीति, और राष्ट्रीय अस्मिता को एक नई दिशा दे रहा है — जिसमें हर नागरिक की भूमिका है।
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